Diya Jethwani

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लेखनी कहानी -02-Jul-2023... एक दूजे के वास्ते... (9)

बाहर आते वक़्त अलका ने राहुल को फोन किया....। 


अलका- हैलो राहुल.......हम दोनों जा रहें हैं....तु चल रहा है हमारे साथ या अभी ओर लेक्चरर्स हैं तेरे....। 


दो मिनट रुको ....मैं भी आ ही रहा हूं। ये खन्ना सर तो आज आए ही नहीं है.....कहां हो तुम अभी....। 


 हम कालेज के बाहर ही है। 
 
ठीक है मैं अभी आया....। 

थोड़ी देर में राहुल भी वहां आ गया। 

राहुल-: कहां जाना है अभी....! 

रश्मि-: बैंक भी जाना है, स्टेशन भी जाना है। सोच रही हूं पहले कहां जाऊँ.....। 

राहुल-: रश्मि एक काम करते हैं तु ओर अलका बैंक चले जाओ, तब तक मैं स्टेशन जाकर तुम्हारी टिकेट्स की इंकवायरी निकाल लेता हूँ। अगर सीट अवेलेबल हुई तो  टिकेट्स लेता हुआ आउंगा....। दोनों काम जल्दी हो जाएंगे। 


अलका- हां, ये ठीक रहेगा.....। 


रश्मि अपने बैग से पैसे निकालते हुए राहुल को देते हुए बोलीं :- ठीक है राहुल, ये पैसे लो ......अगर सीट हो तो टिकेट्स लेते हुए आना। 

राहुल- : लेकिन रश्मि इसकी क्या जरूरत है। पैसे कहां भागे जा रहे थें। 

अलका-: राहुल इससे बहस करने का कोई फायदा नही है, तुझे पता है ये अपने उसुलों की कितनी पक्की है। 

राहुल - हां जानता हूँ। 

राहुल ने हाथ दिखा कर रिक्शा रुकवाई ओर अलका और रश्मि को उसमें बैठने को कहा। 

दोनों उसमें बैठ गई.....। बाय राहुल। दोनों ने साथ में कहा। 

बाय.....। संभाल कर जाना। 

उनके जाने के बाद राहुल भी स्टेशन की ओर निकल गया। 

बैंक का काम पुरा करके वो दोनों बाहर आ ही रही थी कि रश्मि को राहुल का फोन आया। 

रश्मि- : हैलो.....। राहुल....। 


राहुल-: हैंलो.....रश्मि.....। शाम को आठ बजे की ट्रेन है.....। टिकेट्स भी मिल रही है......। कन्फर्म सीट की, बस एक टिकट अलग बर्थ में होगी.....। उसके बाद कोई ओर ट्रेन  आज नहीं है। कल और परसों भी कोई ट्रेन नहीं हैं....। क्या बोलती हो ले लुं। 

रश्मि थोड़ा सोचते हुए ठीक है राहुल ले लो। 

राहुल- : ठीक है। मैं टिकेट्स लेकर सीधा तेरे घर पर ही आता हूँ।
 
रश्मि-: ओके राहुल.....। बाय। 

राहुल ने बाय कहते हुए फोन रख दिया। 

अलका और रश्मि भी वहां से सीधे घर की ओर चल दी। 

अलका के घर के बाहर .. अलका तु भी अपना सामान जल्दी से पैक कर लेना.....। हमें एक घंटा पहले तो निकलना पड़ेगा। 
रश्मि ने अलका से कहा। 

अलका-: डोंट वैरी माय डियर मैं टाइम पर आ जाउंगी तेरे घर......वहां से साथ चलेंगे। 

रश्मि हल्के से मुस्कुरा कर अलका को गले लगा कर फिर अपने घर की ओर चल दी। 

घर पहुंचते ही वो तुरंत मम्मी के कमरे में आई। 

आई एम  सॉरी मम्मी मुझे थोड़ा लेट हो गया। आपने कुछ खाया, दवाई ली। 

कुछ खाने को बना कर जाती तो कुछ खाती ना......। खुद तो उस कलमुई अलका के साथ खाकर आई होगी कालेज में.....। तभी तो तुझे हमारी याद भी नहीं.....। उपर से बेशर्मो की तरह पुछ रही है दवाई ली। क्या पानी पीकर दवाई लेती......। एक काम कर थोड़ा सा जहर देदे हम दोनों को....। तुझे भी आजादी मिल जाएगी, और मुझे भी तेरी इस मनहूस शक्ल से......। जबसे आई है.......बस बुरा ही बुरा हो रहा है हमारे साथ।  ग्यारह बजने को आए हैं अभी तक एक निवाला नहीं खाया है हमने, खुद महारानी बाहर मजे ले रही है। 
रश्मि  रोते हुए धीरे से बोली। मम्मी मैं जल्दी से कुछ बना लेती हूँ.......बस दस मिनट में। 


ऐसा कहकर वो रोते हुए किचन में आई ओर रोते रोते खाना बनाने लगी। एक तरफ़ गैस पर सब्जी रखी दुसरी ओर फटाफट आटा गुंथने लगी। 
रोती भी जा रही थी और काम भी करती जा रही थी। 

वो अभी पहली रोटी सेंक ही रही थी कि राहुल आया। उसने दोनों के पैर छुए ओर पुछा :- अंकल रश्मि कहां है। 


आधे घंटे से मरी पड़ी है किचन में......। यहां हम भूख से मर रहे हैं। 

राहुल बिना कुछ बोले किचन की ओर चल दिया.....। 

रश्मि को कुछ पता नहीं था वो अभी भी रोए जा रही थी। वो खाना सर्व करके जैसे ही पलटी तो राहुल को देख कर अपने आंसू पोंछने लगी। 

राहुल तुम आ गए। तुम रुको मैं बाहर खाना देकर आती हूँ। 


रश्मि खाना देकर वापस किचन में आई ओर रोटी सेंकते हुए बोली.. :- तुम खाना खाओगे राहुल। 

राहुल -: नहीं रश्मि मैं घर जाकर खा लुंगा। बस ये टिकेट्स देने आया था। 

रश्मि ने राहुल को  मुस्कुराते हुए कहा...:- इतना भी बुरा खाना नहीं बनाती हूँ......राहुल जो तुम सीधा मना कर रहे हो। 
डोंट वैरी थोड़ा खा लोगे तो मोटे नही हो जाओगे। 
तुम रुको मैं बाहर पानी ओर रोटी देकर आती हूँ....। 


राहुल मन ही मन सोच रहा था इतनी हिम्मत कहा से लाती हो रश्मि....। अपने आंसू छिपा कर मुस्कुराना कोई तुम से सीखें। 
रश्मि फिर से अंदर आई ओर राहुल के लिए खाना सर्व करने लगी.....। 

राहुल ने उसे रोक दिया। 

मुझे भूख नही है रश्मि रहने दो.....। ज्यादा देर रुका तो.... अंकल आंटी को अच्छा नहीं लगेगा..... तुम.... रहने दो...... मैं... चलता हूँ.....। 


रश्मि:- खाने का कभी अनादर नहीं करते राहुल। अभी सर्व कर दिया है खाकर जाओ। ओर वैसे भी मुझे मम्मी पापा की बात का बुरा नहीं लगता....। 

राहुल ने एक निवाला लिया और कहा अनादर नहीं कर रहा हूँ.....रश्मि.......पर अभी मुझसे खाया नही जाएगा। 
उसने रश्मि कि हथेली पर टिकेट्स और बचे हुए पैसे रखे और वहां से चला गया। 


वो बाहर आया ही था की रश्मि के पेरेंट्स उसे देखकर बोले :- दिनदहाड़े.... बड़ों के सामने.... रंगरेलियां मनाई जा रहीं हैं.... आज कल के बच्चों में कुछ शर्म हया रहीं ही नहीं हैं....। 


राहुल उनकी बात सुनी.... अनसुनी करके वहां से चला गया....। 



# कहानीकार प्रतियोगिता...... 


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क्या राहुल कभी अपने प्यार का इज़हार कर पाएगा...!! 
जानने के लिए बने रहें मेरे साथ....। 







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2 Comments

Babita patel

16-Aug-2023 10:38 AM

Nice part

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